च्यवनप्राश केशर(Achyutaya Chyawanprash Special)
सुवर्ण, चाँदी, लोह व ताम्र सिद्ध जल में उबले हुए वीर्यवान आँवलों में 56 बहु मूल्य जड़ी-बूटियों के साथ हिमालय से लायी गयी दिव्य औषधि वज्रबला तथा चाँदी, लोह, बंग व अभ्रक भष्म एवं शुद्ध केसर मिलाकर गाय के घी में आश्रम के पवित्र वातावरण में वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ इस रसायन को बनाया गया है । नैसर्गिक जीवन तत्वों व शक्तिशाली खनिज द्रव्यों से भरपूर होने के कारण यह शरीर की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति व कोशिकाओं का नवनिर्माण करता है । इस च्यवनप्राश का सेवन स्वस्थ या रुग्ण, युवक, वृद्ध, दुर्बल, श्वास, राजयक्ष्मा, ह्रदयरोग सेपीड़ित सभी लोग सब ॠतुओं में कर सकते है । आश्रम के संतों व आयुर्वेदाचार्यो द्वारा परीक्षणों के बाद इस अद्वितीय व अमूल्य च्यवनप्राश का निर्माण किया गया है । बुद्धि, तेज, वीर्य, उत्साह, प्रसन्नता को बढाकर, नवचेतना प्रदान करता है । बुढ़ापा दूर
होकर चिरयौवन, दीर्घायु की प्राप्ति व रोगों से सुरक्षा होती है । यह ह्रदय, यकृत व फेफडों को बल प्रदान कर शरीर को हष्ट-पुष्ट व शक्तिशाली बनाता है ।